Link : SP Singh Oberoi's Exclusive interview ON DD Punjabi, je jana pardes
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Published on: Wed, 13 Feb 2013 at 08:17 IST
दुबई। जब मौत का फंदा गले को जकड़ने के लिए तैयार हो, जब आने वाली जिंदगी में सिर्फ अँधेरा ही दिखाई दे और जब जेल में रह-रह कर मौत आंखों के सामने नाचती दिखाई दे। ऐसे में यदि व्यक्ति को फांसी के फंदे से छुड़ाने वाले इंसान को मसीहा कहा जाए तो इतिश्री नहीं होगी।
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक अदालत द्वारा मौत की सजा पाए 17 कैदियों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह कभी दोबारा अपने वतन लौट पाएंगे, लेकिन एसपी सिंह ओबरॉय की दया दृष्टि के चलते ये सभी कैदी न सिर्फ मौत की सजा से बरी हुए बल्कि सुरक्षित आज अपने वतन भारत आ गए हैं। इनमें से 16 कैदी पंजाब और एक कैदी हरियाणा का रहने वाला है। इन सभी आरोपियों को 2010 में एक पाकिस्तानी नागरिक मिस्री खान की मौत का आरोपी मानकर दुबई की स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
इन 17 आरोपियों को मिली फांसी की सज़ा के बारे में जब एसपी सिंह ओबरॉय को पता चला तो उन्हीने इन्हें बचने का जिम्मा उठाया। उन्होंने ने बताया कि जब उन्होंने यह खबर अखबार में पढ़ी तो पता चला इनका परिवार इतना गरीब है कि उनके पास दो वक्त की रोटी जुटाने के लाले पड़े हैं। तब उन्होंने इन कैदियों को बचाने का फैसला किया। गौरतलब है कि इन सभी आरोपियों को बचाने के लिए पीड़ित के परिवार को दस लाख डॉलर यानि 5.3 करोड़ रुपये ब्लड मनी के रूप में दिए गए हैं।
पंजाब के मोगा जिले के 28 वर्षीय कुलदीप सिंह कहते हैं कि वह पैसे कमाने के लिए दुबई गए थे, लेकिन वह अब बाहर कभी नहीं जाएगा। साथ ही मौत के मुंह से वापस आने के बाद अब शादी करना चाहता है। एसपी ओबरॉय द्वारा लोगों को मौत के फंदे से छुड़ाने का यह सिलसिला यहीं नहीं थमता, अभी तक वह 54 लोगों को इसी तरह बचा चुके हैं। ओबरॉय बताते हैं, "जब मैं इन दोषियों के परिजनों से मिला तो पाया कि वह इतने गरीब हैं कि विदेश में इनके परिजन कैदियों से मिलने तक के पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं और जब मैं इन दोषियों से मिला तो पाया कि इनमें से कई आरोपी बेक़सूर हैं और तब से मैंने इन्हें बचाने का बीड़ा उठाया।"
संसार में एक ओर जहाँ लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हैं, वहीं एसपी ओबरॉय जैसे लोग भी हैं जो इंसानियत को जिंदा रखने के लिए पूरी शिद्दत से इस काम में जुटे हुए हैं। उनके इस हौसले को देख कर मन में यह अवश्य आता है कि मानवता का ह्रास होने की दुहाई देने लोगों को गलत साबित करने के लिए ओबरॉय जैसे लोग एक सटीक उदाहरण हैं।
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ओबरॉय या मसीहा! 5.5 करोड़ चुका कर बचाई 17 जान
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक अदालत द्वारा मौत की सजा पाए 17 कैदियों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह कभी दोबारा अपने वतन लौट पाएंगे, लेकिन एसपी सिंह ओबरॉय की दया दृष्टि के चलते ये सभी कैदी न सिर्फ मौत की सजा से बरी हुए बल्कि सुरक्षित आज अपने वतन भारत आ गए हैं। इनमें से 16 कैदी पंजाब और एक कैदी हरियाणा का रहने वाला है। इन सभी आरोपियों को 2010 में एक पाकिस्तानी नागरिक मिस्री खान की मौत का आरोपी मानकर दुबई की स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
इन 17 आरोपियों को मिली फांसी की सज़ा के बारे में जब एसपी सिंह ओबरॉय को पता चला तो उन्हीने इन्हें बचने का जिम्मा उठाया। उन्होंने ने बताया कि जब उन्होंने यह खबर अखबार में पढ़ी तो पता चला इनका परिवार इतना गरीब है कि उनके पास दो वक्त की रोटी जुटाने के लाले पड़े हैं। तब उन्होंने इन कैदियों को बचाने का फैसला किया। गौरतलब है कि इन सभी आरोपियों को बचाने के लिए पीड़ित के परिवार को दस लाख डॉलर यानि 5.3 करोड़ रुपये ब्लड मनी के रूप में दिए गए हैं।
पंजाब के मोगा जिले के 28 वर्षीय कुलदीप सिंह कहते हैं कि वह पैसे कमाने के लिए दुबई गए थे, लेकिन वह अब बाहर कभी नहीं जाएगा। साथ ही मौत के मुंह से वापस आने के बाद अब शादी करना चाहता है। एसपी ओबरॉय द्वारा लोगों को मौत के फंदे से छुड़ाने का यह सिलसिला यहीं नहीं थमता, अभी तक वह 54 लोगों को इसी तरह बचा चुके हैं। ओबरॉय बताते हैं, "जब मैं इन दोषियों के परिजनों से मिला तो पाया कि वह इतने गरीब हैं कि विदेश में इनके परिजन कैदियों से मिलने तक के पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं और जब मैं इन दोषियों से मिला तो पाया कि इनमें से कई आरोपी बेक़सूर हैं और तब से मैंने इन्हें बचाने का बीड़ा उठाया।"
संसार में एक ओर जहाँ लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हैं, वहीं एसपी ओबरॉय जैसे लोग भी हैं जो इंसानियत को जिंदा रखने के लिए पूरी शिद्दत से इस काम में जुटे हुए हैं। उनके इस हौसले को देख कर मन में यह अवश्य आता है कि मानवता का ह्रास होने की दुहाई देने लोगों को गलत साबित करने के लिए ओबरॉय जैसे लोग एक सटीक उदाहरण हैं।
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ओबरॉय या मसीहा! 5.5 करोड़ चुका कर बचाई 17 जान
Thursday, February 14, 2013, 00:25 hrs IST |
नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से मौत की सजा से बचकर मंगलवार को भारत पहुंचे 17 लोगों के लिए एसपी सिंह ओबरॉय किसी मसीहा से कम नहीं। इन्हें पाकिस्तान नागरिक मिस्त्री खान की मौत का दोषी पाते हुए 2010 में यूएई की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। इन्हें बचाने के लिए ओबरॉय ने मिस्त्री खान के परिवार को करीब 5.5 करोड़ रूपए की ब्लड मनी देकर सजा से बचाया। अब तक 54 जिंदगी बचाई एसपी सिंह ओबरॉय बताते है कि वे अब तक 54 लोगों को बचा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब इस मामले की जानकारी मिली तो पाया कि ब्लड मनी यानी मौत का मुआवजा पीडित परिवार को दिया जाए तो वे इन्हें माफ कर सकते हैं। बस इन्हें बचाने का यही एक तरीका था। 1 हजार देकर भेजा था पिता ने ओबरॉय पंजाब में पैदा हुए। उन्होंने एक इंजन मकैनिक की ट्रेनिंग की। साल 1975 में वे दुबई चले गए। तब उनके पिता ने उन्हें 1 हजार रूपए दिए थे। उन्हें वहां नौकरी मिल गई। साल 1981 में वापस आए और व्यापार शुरू किया। फिर फिर 1993 में वे व्यापार के लिए दुबई चले गए। आज वे एपेक्स ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन हैं। "भगवान का दर्जा" एसपी सिंह की तमाम कोशिशों और पैसों के कारण जिन लोगों को नया जीवन मिला है वो इन्हें अपना मसीहा मानते हैं। मंगलवार को जो 17 लोग वापस आए हैं उनमें से एक 28 वर्षीय कुलदीप सिंह तो एसपी सिंह को भगवान से कम नहीं। |
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